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हम है किशोरी समूह कि लडकिया

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हम है किशोरी समूह कि लडकिया

" अपने गांव को एक चार्ट पर उतारना मतलब मानचित्र बनाना है इसका " किशोरी समूह " सितारा " की हम सभी लडकिया ने जब हमारी संध्या दीदी कि ये बात सुनी तो सभी हँसने लगी | अपने ' इतने बड़े ' गांव को कागज़ पर कैसे बना सकते है भला ! फिर सबने एक - एक पेँसिल पकड़ , गांव कि गलियो , हमारे स्कूल , पंचायत और उन्ही गलियो में अपने - अपने घरो में कारचोबी करती अम्मा और बहनो को महसूस करना शुरू किया तो सच में गांव का नक्शा तैयार होने लगा फिर वो गालिया भी बनायीं जहा हम छोटे थे तो खेलने जाते थे , अब तो बस घर और उसके आस -पास ही सहेलिया संग घूम पाते है |

अम्मी उन दूर गलियो में जाने नही देती .... कहती है कि सयानी हो गयी हो ... और वह जाने से भी डर लगता है | गांव के मनचले लड़के बैठे रहते है वहाँ झुण्ड बनाकर | अम्मी ठीक ही मन करती है शायद | हम उस गुलाबी कागज़ पर अपना गांव बना ही रहे थे , कि अचानक शू... कि आवाज़ करता हुआ हवाईजहाज़ हमारे सर के ठीक ऊपर से गुजरा , और आसमान में उड़ते पक्षियों कि तरह एक दम नन्हा सा हो आँखों से ओझल हो गया | ऐसे हवाईजहाज़ कि सवारी करेंगे हम सब ..|

लेकिन अपने पूरे गांव में घूम पाने कि पाबन्दी और डर , हमारे इतने बड़े सपने को मायूस कर जाता है | खैर ... हमारा गांव करमपुर चौधरी जिसमे दलित और मुस्लिम समुदाय रहता है | बरेली - नैनीताल रोड भोजीपुरा ब्लॉक में है और हमारे गांव से हवाई अड्डा एक दम पास है | इसके अलावा हमारे करमपुर चौधरी कि एक खास पहचान है यह काम कर रही स्वंय सेवी संस्था 'साकार संस्था ' | साकार संस्था महिला अधिकार , किशोरी एवं बाल अधिकार , सामाजिक शौहार्द व पंचायत पर काम करती है | हम सभी लडकिया ' साकार ' के किशोरी समूह ' सितारा ' से जुडी है और हम सब रोज़ कुछ नया सीखती है | लेकि आज इस चार्ट पर हमने अपने ' करमपुर चौधरी ' का मानचित्र बनवाकर साकार की संध्या दीदी हमे क्या सिखाना चाह रही है , हम नही समझ पा रहे थे | तभी दीदी ने हमारे नक़्शे को देख तारीफ़ की और हमसे उसमे उन जगहों पर पेंसिल से गोला बनाने को बोला जहा जाने को हम सबको डर लगता है | फिर क्या था हम तो पहले से उन गलियो , चौराहो , और दूसरी जगहों को जानते थे जहा गांव के लड़के खड़े होकर हम पर फब्तियां कस्ते है , सो जल्दी से सभी ने , सोच के उस चार्ट में उन जगहों को गोल -गोल चिन्हित कर दिया | फिर साकार की दीदी ने हम सभी किशोरियों को बताया की ये छेड़ -छाड़ महिला हिंसा है , साथ ही उन्होंने बोला की छेड़छाड़ जैसी घटनाओ को हम हलके में नही लेना चाहिए , क्योंकि ऐसा करने से इन लड़को का हौसला बढ़ेगा और अंजाम किसी बड़ी घटना के रूप में सामने आ सकता है | इसलिए अभी इन चीज़ो को रोकना बहुत ज़रूरी है | दीदी की इस बात के बाद हम सब ने मिलकर लड़को की इन हरकतों पर लगाम लगाने की योजना बनायीं | हम सभी लड़कियों ने अपनी योजना के तहत अपने घरो में , और फिर इकठ्ठा होकर गांव के बुजुर्गो और प्रधान जी के सामने अपनी बात रखी | सभी लोगो ने हमारी परेशानी को सुना - समझा और फिर एक ' खुली बैठक ' कर ऐसे लड़को को उनके माँ - बाप के सामने डांटा गया और साथ ही उन्हें आगे ऐसी कोई हरकत न करने से आगाह किया गया | फिर क्या था इन शौहदेबाज़ो को अपनी हरकत से बाज़ आना पड़ा | अब हम अपने पूरे गांव में कहि भी बिना किसी डर के आज़ादी से घूम पाते है | अम्मी भी मना नही करती है |


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